मंदिर मसजिद गिरजाघर में
मंदिर-मसजिद-गिरजाघर में बांट दिया भगवान को
धरती बांटी, सागर बांटा, मत बांटो इन्सान को
हिंदू कहता मंदिर मेरा,
मंदिर
मेरा धाम है
मुस्लिम कहता मसजिद
मेरा, अल्लाह का ही नाम है
दोनों ल़डते, ल़ड-ल़ड मरते, ल़डत-ल़डते खत्म हुए
दोनों ने इक दूजे पे
न जाने क्या क्या जुल्म किये
किसका ये मक्सद है, किसकी चाल है ये सब जान लो
धरती बांटी, सागर बांटा, मत बांटो इन्सान को
नेता ने सत्ता की खातिर कौमवाद से काम लिया
धर्म के ठेकेदार से
मिलकर लोगों को नाकाम किया
भाई बंटे तुक़डे-तुक़डे में, नेता का सम्मान ब़ढा
वोट मिले और नेता
जीता, शोषण को आसान किया
वक्त नहीं बीता है अब
भी, वक्त की कीमत जान लो
धरती बांटी, सागर बांटा, मत बांटो इन्सान को
प्रजातंत्र में प्रजा
को लूटे, ये कैसी सरकार है
लाठी, गोली, ईश्वर, अल्लाह, ये सारे हथियार हैं
इनसे बचो, और बच के रहो, और ल़डकर उनसे जीत लो
हक है तुम्हारा चैन
से रहना, अपने हक को जान लो
अगर हो तुम शैतानी से
तंग, खत्म करो शैतान को
धरती बांटी, सागर बांटा, मत बांटो इन्सान को
- विनय महाजन
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