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Tuesday, 7 March 2017

गीत गा रहे हैं आज हम...

गीत गा रहे हैं आज हम...

गीत गा रहे हैं आज हमरागिनी को ढूंढ़ते हुए
आ गये यहां जवां कदमजिन्दगी को ढूंढ़ते हुए
गीत गा रहे हैं आज हम...
           अब दिलों में ये उमंग है, ये जहां नया बसायेंगे
           जिन्दगी का तौर आज से, दोस्तों को हम सिखायेंगे
           फूल हम नये खिलायेंगे, ताजगी को ढूंढ़ते हुए
 गीत गा रहे हैं आज हम...
क़ोढ की तरह दहेज है, आज देश के समाज में
है तबाह आज आदमी, लूट पर टिके समाज में
हम समाज भी बनायेंगे, आदमी को ढूंढ़ते हुए
गीत गा रहे हैं आज हम...
           फिर न जल सके कोई दुल्हन, जोर-जुल्म का न हो निशां
           मुस्कुरा उठे धरा-गगन, हम रचेंगे ऐसी दास्तां
           यूं सजायेंगे वतन को हम, हर खुशी को ढूंढ़ते हुए
           गीत गा रहे हैं आज हम...
- भुवनेश्वर

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