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Tuesday, 7 March 2017

सरफरोशी की तमन्ना

सरफरोशी की तमन्ना

 सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बाजुए-कातिल में है
ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार
अब तेरी हिम्मत की चर्चा गैर की महफिल में है
           आज फिर मकतल में कातिल कह रहा है बार बार
क्या तमन्ना--शहादत भी किसी के दिल में है
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है
रहबर-राहें-मुहब्बत रह न जाना राह में
लज्जते-सरहाने-वर्दी दूरिए मंजिल में है
खींच कर लाई है हमको कत्ल होने की उम्मीद
आशिकों का आज जमघट कूचा--कातिल में है
अब न अगले वलवले हैं और न अरमानों की भ़ीड
एक मिट जाने की हसरत अब दिले-बिस्मिल में है
-रामप्रसाद बिस्मिल

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