सरफरोशी की तमन्ना
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना
बाजुए-कातिल में है
ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर
निसार
अब तेरी हिम्मत की
चर्चा गैर की महफिल में है
आज फिर मकतल में कातिल कह रहा है बार बार
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल
में है
वक्त आने दे बता
देंगे तुझे ऐ आसमां
हम अभी से क्या
बतायें क्या हमारे दिल में है
रहबर-राहें-मुहब्बत रह न जाना
राह में
लज्जते-सरहाने-वर्दी दूरिए मंजिल
में है
खींच कर लाई है हमको
कत्ल होने की उम्मीद
आशिकों का आज जमघट
कूचा-ए-कातिल में है
अब न अगले वलवले हैं
और न अरमानों की भ़ीड
एक मिट जाने की हसरत
अब दिले-बिस्मिल में है
-रामप्रसाद बिस्मिल
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