ले मशालें चल प़डे हैं लोग मेरे गांव के
अब अंधेरा जीत लेंगे
लोग मेरे गांव के
पूछती है झोंप़डी और पूछते हैं खेत भी
कब तलक लुटते रहेंगे
लोग मेरे गांव के
बिन ल़डे कुछ भी यहां मिलता नहीं ये जानकर
अब ल़डाई ल़ड रहे हैं
लोग मेरे गांव के
लाल सूरज अब उगेगा देश के हर गांव में
अब इकट्ठे हो चले हैं
लोग मेरे गांव के
चीखती है हर रुकावट ठोकरों की मार से
बेडियां खनका रहे हैं
लोग मेरे गांव के
देख यारा जो सुबह लगती थी फीकी आज तक
लाल रंग उसमें भरेंगे
लोग मेरे गांव के
- बल्ली सिंह चीमा
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