हम लोग हैं ऐसे दीवाने
हम लोग हैं ऐसे दीवाने,
दुनियां
को बदल कर मानेंगे
मंजिल को पाने आये हैं,
मंजिल
को पाकर मानेंगे
हर मांग हमारी पूरी
हो, उस वक्त तसल्ली पायेंगे
ऐसे तो नहीं टलने
वाले, हम ल़डते ही मर जायेंगे
हां, हम भी किसी से कम तो नहीं,
तूफान
उठाकर मानेंगे
मंजिल को पाने...
सच्चाई की µखातिर दुनियां में, शेखर ने भी गोली खाई थी
सरदार भी च़ढे थे
सूली पर, सच्चों ने जान गंवाई थी
यूं हम भी किसी से कम
तो नहीं, तकदीर बदल कर मानेंगे
मंजिल को पाने...
दो दिन की बहारें हैं
जग में, जब जुल्म किसी का चलता है
हर जुल्म का सूरज लाख
उगे, हर शाम को लेकिन ढलता है
नफरत के शोले दिल में
हैं, हम उन्हें बुझाकर मानेंगे
मंजिल को पाने...
The lyrics has been changed and mentioned wrong here.
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