इसलिये राह संघर्ष की हम चुनें
जिंदगी आंसुओं से नहाई न हो
शाम सहमी न हो, रात हो न डरी
भोर की आंख फिर डबडबाई न हो
इसलिये...
सूर्य पर बादलों का न पहरा रहे
रोशनी रोशनाई में डूबी न हो
यूं न ईमान फुटपाथ पर हो ख़डा
हर समय आत्मा सबकी ऊबी न हो
आसमां में टंगी हो न खुशहालियां
कैद महलों में सबकी कमाई न हो
इसलिये...
कोई अपनी खुशी के लिये गैर की
रोटियां छीन ले हम नहीं चाहते
छींटकर थ़ोडा चारा कोई उम्र की
हर खुशी छीन ले हम नहीं चाहते
हो किसी के लिये मखमली बिस्तरा
और किसी के लिये एक चटाई न हो
इसलिये...
अब तमन्नाएं फिर ना करें खुदकुशी
ख्वाब पर खौफ की चौकसी ना रहे
श्रम के पांवों में हो ना प़डी ब़ेडियां
शक्ति की पीठ अब µज्यादती ना सहे
दम न त़ोडे कहीं भूख से बचपना
रोटियों के लिये फिर ल़डाई न हो
इसलिये...
बह रहा है लहू बेकसूरों का क्यों
जल रही बस्तियां फिर
गरीबों की क्यों
धर्म के नाम पर हो
रहे कत्ल क्यों
जल रहा देश नफरत की
आग में क्यों
फिर कभी खून सस्ता न
हो गैर का
धर्म के नाम पर फिर
ल़डाई न हो
इसलिये...
- अनूप वशिष्ठ़
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