दबे पैरों से उजाला आ रहा है
फिर कथाओं को खंगाला जा रहा है
फिर कथाओं को खंगाला जा रहा है
धुंध से चेहरा निकलता दिख रहा है
कौन क्षितिजों पर सबेरा लिख रहा है
चुप्पियाँ हैं जुबाँ बनकर फूटने को
दिलों में गुस्सा उबाला जा रहा है
कौन क्षितिजों पर सबेरा लिख रहा है
चुप्पियाँ हैं जुबाँ बनकर फूटने को
दिलों में गुस्सा उबाला जा रहा है
दूर तक औ देर तक सोचें भला क्या
देखना है बस फिज़ां में है घुला क्या
हवा में उछले सिरों के बीच ही अब
सच शगूफे सा उछाला जा रहा है
देखना है बस फिज़ां में है घुला क्या
हवा में उछले सिरों के बीच ही अब
सच शगूफे सा उछाला जा रहा है
नाचते हैं भय सियारों से रंगे हैं
जिधर देखो उस तरफ़ कुहरे टँगे हैं
जो नशे में धुत्त हैं उनकी कहें क्या
होश वालों को संभाला जा रहा है
जिधर देखो उस तरफ़ कुहरे टँगे हैं
जो नशे में धुत्त हैं उनकी कहें क्या
होश वालों को संभाला जा रहा है
स्थगित है गति समय का रथ रुका है
कह रहा मन बहुत नाटक हो चुका है
प्रश्न का उत्तर कठिन है इसलिए भी
प्रश्न सौ -सौ बार टाला जा रहा है
कह रहा मन बहुत नाटक हो चुका है
प्रश्न का उत्तर कठिन है इसलिए भी
प्रश्न सौ -सौ बार टाला जा रहा है
सेंध गहरी नींद में भी लग गयी है
खीझती सी रात काली जग गयी है
दृष्टि में है रोशनी की एक चलनी
और गाढ़ा धुआँ चाला जा रहा है ।।
खीझती सी रात काली जग गयी है
दृष्टि में है रोशनी की एक चलनी
और गाढ़ा धुआँ चाला जा रहा है ।।
टिप - हे गाणं व्हिडिओ स्वरूपात बघण्यासाठी भेट द्या
कलासंगिनी माणगाव येथील शिबिरात कबीर कॅफे (नीरज आर्या) भारतातील प्रसिध्द बँड सोबत परफॉम् करताना. कलासंगिनी निमंत्रक, एल्गार सांस्कृतिक मंचाचा, एक अष्टपैलू कलाकार धम्मरक्षित रणदिवे.
यह गीत तो यश मालवीय जी का है। आप का कैसे हो गया?
ReplyDeleteThis poem has been composed by Yash Malviya and utilising like this is an infringement to copyright act and is punishable under law.
ReplyDeleteBILKUL YE Geet Yash Malviya ji ka hi hein , meine Sirf Gaya hein , Jinhone ye video upload kiya hein unhone ye credits diye nahi hein , is ke liye Maffi
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